आखिर क्यों मारना चाहते थे अर्जुन अपने भाई युधिष्ठिर को

आखिर क्यों मारना चाहते थे अर्जुन अपने भाई युधिष्ठिर को

Subscribe to    / renukasindiankitchen   for mouth watering Indian Food Recipes Support Vanity News by Shopping on Amazon https://www.amazon.in/shop/vanitynews (affiliate) Support Vanity News by Shopping on Amazon https://www.amazon.in/shop/vanitynews (affiliate) आखिर क्यों मारना चाहते थे अर्जुन अपने भाई युधिष्ठिर को महाभारत में एक से बढ़कर एक अनूठी कथाएं है. कुछ कथाओं के बारे में हमें टीवी सीरियल और कथावाचकों ने बताया है. लेकिन बहुत सी ऐसी कथाएं भी है जिन्हें केवल वही जानता है जिसने महाभारत ग्रन्थ का विस्तृत अध्ययन किया है. आज हम आपको जो कथा बता रहे है हो सकता है उस पर आपको भरोसा नहीं हो, लेकिन इस कथा का वर्णन महाभारत में दिया गया है. आइये आपको बताते है वो प्रसंग जब अर्जुन ने युधिष्ठिर को मारने के लिए तलवार उठाई थी. महाभारत के युद्ध का 17वा दिन था, भीषण युद्ध हो रहा था. एक तरफ थे पांडवों में सबसे ज्येष्ठ युधिष्ठिर और दूसरी तरफ से वीर शिरोमणि कर्ण. दोनों ही उच्च कोटि के योद्धा थे. लेकिन कर्ण का युद्ध कौशल युधिष्ठिर से अधिक था. लगातार लड़ते रहने से युधिष्ठिर कुछ शिथिल होने लगे थे. इसी बात का फायदा उठाकर कर्ण उनपर और तेज़ी से प्रहार करने लगे. कर्ण के प्रहारों से युधिष्ठिर बुरी तरह से घायल हो गए. कर्ण किसी भी पल युधिष्टिर का वध कर सकते थे. लेकिन कर्ण ने ऐसा नहीं किया. वो घायल युधिष्ठिर को छोड़ दूसरी तरफ चले गए. आखिर क्या कारण था इसका?? कर्ण ने युधिष्ठिर को नहीं मारा क्योंकि उन्होंने अपनी माता कुंती को वचन दिया था कि वो अर्जुन के सिवा किसी और पांडव के प्राण नहीं लेंगे. इसीलिए जब युधिष्ठिर को मारने का मौका आया तो कर्ण ने उन्हें प्राण दान दे दिया. घायल युधिष्ठिर को नकुल और सहदेव पांडव खेमे में इलाज़ के लिए ले गए. युद्ध क्षेत्र में अभी भी भीम और अर्जुन कौरवों की सेना से लड़ रहे थे. जब उन्हें युधिष्ठिर के घायल होने का समाचार मिला तो भीम को युद्ध मे छोड़कर अर्जुन अपने भाई को देखने चले गए. फिर ऐसा क्या हुआ कि युधिष्ठिर अर्जुन पर क्रोधित हो गए? जब अर्जुन अपने घायल भाई का कुशल क्षेम पूछने आये तो युधिष्ठिर को लगा कि अर्जुन कर्ण को मारकर उनके अपमान का बदला लेकर आये है. इसी बात के उत्साह में उन्होंने अर्जुन को गले लगा लिया और प्रसन्नतापूर्वक जानने की कोशिश की, कि अर्जुन ने कैसे कर्ण को मारा. जब अर्जुन ने युधिष्ठिर को बताया कि वो कर्ण का वध करके नहीं बल्कि अपने घायल भाई का स्वास्थ्य देखने आये है. युधिष्ठिर को जब ये बात पता चली तो वो अत्र्यन्त क्रोधित हुए और अर्जुन को भला बुरा कहने लगे. अर्जुन ने अपने घायल भाई के कटु वचनों का बुरा नहीं माना. वो चुपचाप सुनते रहे और भाई को वचन दिया कि वो उनके अपमान का बदला लेंगे. लेकिन युधिष्ठिर इतने पर भी शांत नहीं हुए. उन्होंने गुस्से में अर्जुन के दैवीय धनुष गांडीव का भी अपमान कर दिया. अर्जुन स्वयं का अपमान बर्दाश्त कर सकते थे लेकिन उन्होंने वचन लिया था कि जो भी उनके गांडीव का अपमान करेगा वो उसे मौत के घाट उतार देंगे. युधिष्ठिर द्वारा गान्देव का अपमान करने पर अर्जुन ने अपने बड़े भाई को मारने के लिए अपनी तलवार उठा ली. जब वो अपने भाई को मरने वाले थे तभी कुछ ऐसा हुआ कि उनके बढ़ते हाथ रुक गए… जैसे ही अर्जुन ने हाथ उठाया तभी श्री कृष्ण ने आकर रोक दिया. जब कृष्ण को अर्जुन के वचन की बात पता चली तो श्री कृष्ण ने अर्जुन कपो कहा कि युधिष्ठिर का वध करना न्यायसंगत नहीं है और उनके वचन को तोडना भी गलत होगा. इस असमंजस से निकलने का उपाय भी कृष्ण ने बताया. कृष्ण ने अर्जुन को कहा कि किसी प्रिय द्वारा किया गया अपमान और तिरस्कार भी मृत्यु के समान होता है. इसलिए यदि अर्जुन, युधिष्ठिर का अपमान करें तो वो भी उनके लिए मृत्यु समान होगा. कृष्ण की बात सुनकर अर्जुन ने ना चाहते हुए भी अपने बड़े भाई युधिष्ठिर का तिरस्कार और अपमान किया. इस प्रकार अपने भाई का अपमान करके उन्होंने गांडीव के वचन को भी पूरा किया और अपने भाई का वध करने से भी बच गए. ज़रा सोचिये यदि कृष्ण समय पर नहीं आते तो अर्जुन के हाथ युधिष्ठिर का वध हो जाता और पूरी महाभारत ही बदल जाती.