चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी कब मनाई जाएंगे 5 या 6 अप्रैल 2025

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी कब मनाई जाएंगे 5 या 6 अप्रैल 2025

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी कब मनाई जाएंगे 5 या 6 अप्रैल 2025 #video नमस्कार दोस्तों आज के इस वीडियो में हम बात करेंगे कि चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी कब मनाई जाएगी 5 अप्रैल को या 6 अप्रैल को कई लोग इसको लेकर भ्रमित हैं कि कन्या पूजन किस दिन करें अष्टमी कब आएगी और नवमी किस दिन पड़ेगी रविवार को या सोमवार को इस वीडियो में हम आपको बताएंगे शुभ मुहूर्त सही पूजा विधि और कन्या पूजन के नियम इसलिए वीडियो को अंत तक ध्यान से देखें ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके सबसे पहले आप सभी को चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं अब आइए जानते हैं कि नवरात्रि में प्रतिदिन पूजा कैसे करें सबसे पहले स्नान कर लें और साफ सुथरे वस्त्र पहने जिस दिन का जो विशेष रंग होता है उसे धारण करें फिर माता की पूजा करें दुर्गा चालीसा पढ़ सकते हैं या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं पहले दिन माता को जो माला और फूल अर्पित किए जाते हैं उन्हें पूरे नौ दिन तक नहीं हटाना चाहिए हर दिन नई माला फूल और प्रसाद चढ़ाएं लेकिन पहले दिन की माला नहीं हटाई मंदिर को साफ रखें और मां दुर्गा की आरती करें कलश विसर्जन कब करें नवरात्रि के अंत में कलश विसर्जन नवमी के दिन ही किया जाता है अगर कोई फूल या माला सूख भी जाए तो भी उसे नौ दिन तक नहीं हटाना चाहिए अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल अष्टमी और नवमी कब है अष्टमी का व्रत 5 अप्रैल शनिवार को रखा जाएगा राम नवमी 6 अप्रैल रविवार को मनाई जाएगी नवमी के दिन राम जी की पूजा करें लेकिन व्रत केवल 5 अप्रैल को रखें 6 अप्रैल को नहीं हवन और आरती कैसे करें यदि चाहें तो आप प्रतिदिन छोटा सा हवन कर सकते हैं आरती सुबह और शाम दोनों समय करें आप जय अंबे गौरी या कोई भी दुर्गा माता की आरती गा सकते हैं पूजन में लौंग और इलायची अर्पित करें यदि आप सोच रहे हैं कि घर में चढ़ाया हुआ प्रसाद क्या करें तो आप उसे चाय में भी डाल सकते हैं या खुद चबाकर खा सकते हैं या बिना लहसुन प्याज वाली सब्जी में डालकर उपयोग कर सकते हैं यह भी अब स्पष्ट हो गया है अब आगे जानते हैं कि कन्या पूजन कब करें जिन लोगों के पास सुविधा है उन्हें कन्या पूजन जरूर करना चाहिए अगर किसी कारणवश संभव ना हो तो अपनी सामर्थ्य के अनुसार करें लेकिन यह पूजा करना चाहिए कन्या पूजन करना अत्यंत आवश्यक है इसे दान देकर भी किया जा सकता है बहुत से लोग इसे बड़े विधिविधान से करते हैं कन्या पूजन से ही व्रत संपूर्ण माना जाता है कन्या पूजन के दिन यदि आपने कन्याओं को प्रसन्न कर लिया तो मां दुर्गा स्वयं ही प्रसन्न हो जाती हैं क्योंकि कन्याओं के मस्तक पर मां नवदुर्गा के नौ रूप विराजमान होते हैं इस वीडियो को पूरा जरूर देखें यह वीडियो उन माताओं और बहनों के लिए बहुतलाभदायक होने वाली है जिन्होंने चैत्र नवरात्रि का व्रत रखा हुआ है इस वीडियो को पूरा देखने से आपको वह जानकारी प्राप्त होगी जो पूरे नवरात्रि के नौ दिन की पूजा के बराबर मानी जाती है चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है इसे करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है मां दुर्गा की कृपा से परिवार में सुख शांति बनी रहती है आर्थिक स्थिति मजबूत होती है कर्ज से मुक्ति मिलती है दांपत्य जीवन में प्रेम और सद्भाव बढ़ता है संतान सुख की प्राप्ति होती है और बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है नवमी पर किया गया कन्या पूजन बहुत शुभ माना जाता है इसलिए इसे श्रद्धा और प्रेम से करना चाहिए कन्या पूजन विधि सात नौ या 11 कन्याओं को आमंत्रित करें कन्याओं की संख्या एक से अधिक और 11 से कम होनी चाहिए इनके साथ एक बालक जिसे लंगूर कहा जाता है उसे भी शामिल करें जिसे भगवान हनुमान का स्वरूप माना जाता है कन्याओं के पैर शुद्ध जल से धोकर उनका आशीर्वाद लें यदि छोटी कन्या ने आपको आशीर्वाद दे दिया तो समझिए मां दुर्गा ने स्वयं जाकर आशीर्वाद दिया है तिलक और आरती करें कन्याओं के माथे पर रोली और चंदन का तिलक लगाकर प्रसाद दें दक्षिणा और उपहार भेंट करें कन्याओं को वस्त्र खिलौने या अन्य उपहार देकर उनका सम्मान करें भोजन कराएं जिसमें पूरी चना हलवा और फल आदि खिलाएं कुछ विशेष चीजें खिलाने से कन्याएं अत्यधिक प्रसन्न होती हैं कुछ लोग 9 दिन का व्रत रखते हैं और अष्टमी को ही व्रत खोल देते हैं पंजाब हरियाणा और दिल्ली में अधिकतर लोग अष्टमी के दिन व्रत खोलते हैं लेकिन अष्टमी के दिन व्रत नहीं खोलना चाहिए यदि आपने नौ दिनों का व्रत रखा है तो 10वें दिन ही व्रत खोलना चाहिए यह परंपरा बहुत पुरानी है हालांकि कुछ परिवारों की परंपरा के अनुसार लोग अष्टमी को ही व्रत खोलते हैं जबकि कुछ परिवारों में दसवीं को व्रत खोला जाता है हमारे घर में हमेशा से दशमी को ही व्रत खोला जाता है नवरात्रि के अंतिम दिन विधि विधान से माता सिद्धदात्री की पूजा की जाती है अगर आप नवमी के दिन पूजा कर रहे हैं तो अष्टमी को मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए पूजा करने के बाद दीपक जलाकर और हवन करके माता की आराधना करें नवमी के दिन हवन करने के बाद आरती की जाती है इस दौरान फूल माला अर्पित करें सिंदूर लगाएं और अपनी मनोकामना माता से प्रार्थना करें अष्टमी के दिन ही मनोकामना का संकल्प लियाजाता है लेकिन यदि किसी कारण से ना कर पाए तो नवमी को भी कर सकते हैं मंदिर में जाकर भी संकल्प लिया जा सकता है और यदि मंदिर ना जा सके तो घर में ही कलश के सामने माता की प्रतिमा या चित्र के सामने संकल्प ले सकते हैं संकल्प के लिए पीले चावल हल्दी दूर्वा फल या मिठाई अर्पित कर सकते हैं मंदिर में संकल्प लिया जाए तो वही छोड़ दिया जाता है और घर में करने पर ब्राह्मण को दान दे सकते हैं पूजा और हवन करने के बाद आरती की जाती है और इसके बाद कन्या पूजन किया जाता है कन्या पूजन पूजा के बाद ही करना #video #jay #astrology #facts