मलेरिया (Malaria)| malaria Rog | Spread of Disease | Symptoms | Causes | Treatment | prevention

मलेरिया (Malaria)| malaria Rog | Spread of Disease | Symptoms | Causes | Treatment | prevention

मलेरिया (Malaria) रोगजनन एवं लक्षण (Pathogenicity and Symptoms) : मलेरिया बुखार एककोशिकी प्रोटोजोअन परजीवी, प्लाज्मोडियम द्वारा होता है। इसमें कपकपी एवं ठण्ड लगने के साथ तेज बुखार 105-106°F चढ़ता है जो कुछ समय बाद पसीना आने के साथ कम हो जाता है। इस रोग से सिर में तीव्र दर्द होता है तथा मतली आती है। 2 या 3 दिन बाद फिर इसी प्रकार बुखार चढ़ता है। यह परजीवी की जाति पर निर्भर करता है। संक्रमण (Infection) : मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। उष्ण कटिबन्धी एवं उपोष्ण कटिबन्धी प्रदेशों तथा दलदली इलाकों में मच्छर बहुत अधिक होते हैं, अत: मलेरिया भी इन्हीं क्षेत्रों में अधिकता से होता है। मलेरिया परजीवी संक्रामी अवस्था में सूक्ष्म आकार व दरांती के समान स्पोरोजोइट (sporozoites) के रूप में होता है। इसकी वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर द्वारा मनुष्य का रुधिर चूसते समय यह परजीवी मनुष्य के रुधिर में पहुँच जाता है। शरीर में प्रविष्ट होने के बाद यह लाल रुधिर कणिकाओं तथा यकृत कोशिकाओं को नष्ट करता है। बड़ी संख्या में RBC के नष्ट होने से हीमोजोइन नामक विषैला पदार्थ बनता है जिसके कारण कँपकँपी होती है, तेज बुखार चढ़ता है तथा रोगी अत्यधिक दुर्बल हो जाता है। मलेरिया (Malaria)| malaria Rog | Spread of Disease | Symptoms | Causes | Treatment | prevention #105F_106F_hoga