singh 31 Aug. 2024 | singh Rashi 31  Aug. 2024 |singh Rashi Aaj Ka singh Rashifal

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हमारे शास्त्रो में काशी को इतना पवित्र स्थान माना गया है की निषिद्ध कर्म करने वाले जो नाना वर्ण के लोग हैं, महान् पापी और पापों के साक्षात घड़े, बाकी जो भी घृणित चाण्डाल आदि हैं, उन सबके लिये विद्वानों ने अविमुक्तक्षेत्र को उत्तम औषध माना है। अर्थात कोई कितना भी पातकी क्यो न् हो, वह काशी जाकर पूर्ण भक्ति से अवश्य ही अपने पाप धो लेता है भगवान काल भैरव शिव जी के गण और पार्वती जी के अनुचर माने जाते हैं। इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। भगवान काल भैरव को तंत्र-मंत्र के स्वामी के रूप में भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिन्दू भगवान शिव ने लगभग ५००० वर्ष पूर्व की थी ‘काशी’ शब्द का अर्थ है - 'प्रकाशमान'। यानी जो प्रकाशित है, प्रकाश का स्रोत है, या कहें तो 'प्रकाश स्तंभ'! मार्क ट्वेन ने कहा था कि काशी इतिहास की दंतकथाओं से भी पुरानी है। इस नगर के अस्तित्व में आने के समय का कोई पता नहीं लगा सकता। जब एथेंस की कल्पना भी नहीं की गयी थी, तब भी काशी थी। जब रोम का कहीं कोई अस्तित्व नहीं था, तब भी काशी थी। जब इजिप्त नहीं था, तब भी काशी थी। ये उतनी पुरानी है। यह एक साधन था जो एक नगर के रूप में बनाया गया था, और जो सूक्ष्म का विराट के साथ मेल कराता है। ये दिखाता है कि छोटा सा मनुष्य ऐसी अद्भुत संभावना रखता है कि वह ब्रह्मांडीय स्वभाव के साथ एक होने के आनंद, उल्लास और उसकी सुंदरता को जान सके।