
Hypertension or High Blood Pressure In Hindi | Hypertension Stages .
दुनियाभर में अधिकतर लोग हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की समस्या का सामना कर रहे हैं। रक्तचाप वह बल या दबाव है, जो किसी व्यक्ति का रक्त उनकी रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर लगाता है। जब रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, तो इस स्थिति को हाइपरटेंशन कहा जाता है। हृदय को रक्त पंप करने के लिए जितनी अधिक मेहनत करनी पड़ती है, ब्लड प्रेशर उतना अधिक हो सकता है। रक्तचाप को सिस्टोलिक और डायस्टोलिक में मापा जाता है। सिस्टोलिक ऊपर आता है, जबकि डायस्टोलिक नीचे आता है। जब सिस्टोलिक दबाव 120 मिमी एचजी से अधिक, डायस्टोलिक दबाव 80 मिमी एचजी से अधिक होता है, तो इस स्थिति को हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन कहा जाता है। हाई ब्लड प्रेशर हृदय रोग, स्ट्रोक और मौत के जोखिम को बढ़ा सकता है, इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। kya ho ta hai सामान्य ब्लड प्रेशर जब 120 मिमी एचजी से कम सिस्टोलिक और 80 मिमी एचजी से कम डायस्टोलिक दबाव होता है, तो इस स्थिति को सामान्य ब्लड प्रेशर माना जाता है। इस स्थिति में दवाइयों की जरूरत नहीं होती है. अगर आपका सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 120-129 मिमी एचजी के बीच है, डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 80 मिमी एचजी से कम है, तो इसका मतलब है आपको रक्तचाप उच्च हो रखा है। स्टेज 1 हाइपरटेंशन जब सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 130 से 139 mmHg के बीच होता है और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 80 से 89 mmHg के बीच होता है, तो इस स्थिति को स्टेज 1 कहा जाता है। स्टेज 2 हाइपरटेंशन अगर सिस्टोलिक दबाव 140 mmHg से अधिक है और डायस्टोलिक दबाव 90 mmHg से अधिक है, तो यह गंभीर स्थिति होती है। इस स्थिति में व्यक्ति को हार्ट फेलियर, स्ट्रोक होने का जोखिम बढ़ जाता है। इस स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी होता है। अगर आपको हृदय रोग, डायबिटीज या मधुमेह है, तो आप में ब्लड प्रेशर हाई होने का जोखिम अधिक हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों का पारिवारिक उच्च रक्तचाप इतिहास रहा हो, उनमें भी हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर होने का खतरा अधिक बना रहता है। हाइपरटेंशन से बचने के लिए आपको समय-समय पर अपना ब्लड प्रेशर की जांच करवाते रहना चाहिए। साथ ही एक स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना चाहिए।