#nivetadhingramusic

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समाज जब बेटियों को बोझ समझता था, तब बिहार के एक छोटे से गांव में रहने वाले रामशरण यादव ने 7 बेटियों को अपनी ताकत बना लिया। उन्हें गांव वालों से ताने सुनने पड़े — "बेटा नहीं हुआ, अब कौन सहारा बनेगा?" लेकिन रामशरण ने किसी की नहीं सुनी। उन्होंने हार नहीं मानी, किस्मत को नहीं कोसा, बल्कि खेतों में मजदूरी करके अपनी बेटियों के सपनों को पंख दिए। रामशरण और उनकी पत्नी ने दिन-रात मेहनत की। कभी धूप में खेत जोते, तो कभी लोगों के घरों में काम किया — बस एक ही मकसद था: बेटियों को पढ़ाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना। आज वही बेटियाँ उनके संघर्ष और विश्वास की पहचान हैं। उनकी एक बेटी डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा कर रही है, दूसरी IAS बनकर देश के प्रशासन को मजबूत बना रही है, तीसरी पुलिस अफसर बनकर कानून और व्यवस्था की रक्षा कर रही है। बाकी चार बेटियाँ भी शिक्षिका, आर्मी अफसर, बैंक अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में देश की सेवा में लगी हैं। रामशरण यादव ने ये साबित कर दिया कि बेटी केवल घर की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि देश की शक्ति होती है। उनका जीवन एक प्रेरणा है उन सभी अभिभावकों के लिए जो बेटी पैदा होते ही मायूस हो जाते हैं 👍🙏