
Suvichar | Emotional & Heart Touching Story | Moral Story Hindi | Motivational Story | Sacchi Kahani
Suvichar | Emotional & Heart Touching Story | Moral Story Hindi | Motivational Story | Sacchi Kahani यह कहानी एक ऐसे गहरे रहस्य से भरी हुई है जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा। कल्पना कीजिए, एक पत्नी जो नकाबपोश अजनबी से मोहब्बत करने लगती है, पर अंत में जो सच सामने आता है, वह उसके पैरों तले ज़मीन खिसका देता है। तो आइये कहानी सुरु करते है. मेरा नाम सुनीता है, और मैं उन दुर्भाग्यशाली बच्चों में से एक हूँ, जिनके माता-पिता उन्हें बचपन में ही छोड़कर इस दुनिया से विदा ले गए। उनकी मृत्यु के बाद, मेरा नया ठिकाना मेरे चाचा और चाची का घर बना। हालांकि, चाची मुझसे कभी अपनापन महसूस नहीं कर पाई, लेकिन मेरे चाचा ने सदा मेरी फिक्र की। वे मुझे अपनी बेटियों के बराबर मानते थे, और यही वजह थी कि चाचा और चाची के बीच अक्सर तनाव बना रहता था। वे जो चीज़ें अपनी बेटियों के लिए लाते, वही मेरे लिए भी लाते, पर चाची वो चीज़ें मुझसे छीनकर अपनी बेटियों को दे दिया करती थी। समय बीतता गया, और धीरे-धीरे चाचा की सेहत गिरने लगी। अंततः एक दिन ऐसा आया जब चाचा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, और मैं फिर से अकेली हो गई। चाचा के जाने के बाद, चाची का असली स्वभाव उजागर होने लगा। जो कुछ बातें वो पहले चाचा के डर से नहीं कह पाती थीं, अब उन्हें खुलेआम जताने लगीं। उन्होंने घर के सारे नौकरों को हटा दिया और पूरे घर का काम मुझ पर थोप दिया। उस समय मेरी उम्र मात्र अठारह वर्ष थी, और इतनी कम उम्र में ही मैं घर के हर कोने का जिम्मा संभालने लगी। चाची के निर्देशों का पालन करना मेरी आदत बन गई, क्योंकि मुझे पता था कि वो मेरी कोई बात सुनना नहीं चाहती थीं। मेरी हर बात उन्हें नागवार गुजरती थी। चाची यही चाहती थीं कि मैं हमेशा चुप रहूँ और बगैर किसी शिकायत के घर का हर काम करती रहूँ। उन्होंने मेरे बाहर जाने पर भी रोक लगा दी, ताकि मैं अपने दर्द को किसी से बाँट न सकूँ। चाचा का एकलौता बेटा था, नाम था उसका हिमांशु। उसकी उम्र बीस साल की थी, और कब उसका दिल मुझ पर आ गया, यह बात समझ ही नहीं आई। बिना कुछ कहे, वो मुझसे लगाव महसूस करने लगा था, पर यह बात चाची के दिल को हरगिज़ गवारा न थी। जिस लड़की से उन्होंने हमेशा से ही नफ़रत की थी, वही उनके घर की बहू बन जाए—ये ख्याल ही उन्हें सुलगाने लगा। चाची अपने बेटे के लिए बड़े-बड़े सपने सँजोए बैठी थीं। उन्हें अपने बेटे के लिए किसी उच्च शिक्षित, रूपवान और समृद्ध परिवार की लड़की चाहिए थी, और मैं तो बस एक अनाथ, गरीबी की छाँव में पली लड़की थी, जिससे विवाह करके दहेज में कुछ न मिलता।