
जादुई चावल | JADUI CHABAL | Moral Story in Hindi | Cartoon Stories | Moral Stories |
जादुई चावल | JADUI CHABAL | Moral Story in Hindi | Cartoon Stories | Moral Stories | Jadui Chawal Story Moral Story in Hindi Cartoon Stories in Hindi Hindi Kahaniyan for Kids Moral Stories for Children Hindi Cartoon Moral Stories Jadui Kahani Hindi Me Educational Stories for Kids Fairy Tales in Hindi Hindi Cartoon Stories 3D Animated Moral Story Bedtime Stories for Kids Hindi Hindi Kahaniya Cartoon Cartoon Wali Kahani Jadui Kahaniya Cartoon Hindi Moral Stories with Magic Chawal ki Kahani Kids Moral Stories Hindi Story for Kids in Hindi Cartoon Story Hindi Hindi Animated Stories Jadui Chawal Cartoon Moral Story with Magic Rice Hindi Cartoon for Kids Jadui Kahani for Kids Moral Story Hindi Cartoon Magical Rice Story in Hindi Short Stories for Kids Hind बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में किशु नाम का एक गरीब लड़का अपनी माँ के साथ रहता था। उसके पिता बचपन में ही गुजर चुके थे। किशु बहुत मेहनती था, लेकिन उसकी माँ बीमार रहती थी, इसलिए घर की जिम्मेदारी किशु पर ही थी।हर दिन किशु जंगल से लकड़ियाँ लाता, गाँव में बेचता, और जो थोड़े पैसे मिलते, उससे रोटी और दवा खरीदता। लेकिन कई बार तो उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता। एक दिन किशु बहुत थक कर पेड़ के नीचे बैठा था। तभी वहाँ से एक साधु बाबा गुजरे। उन्होंने किशु की हालत देखी और पूछा, "बेटा, तुम इतने उदास क्यों हो?" किशु ने रोते हुए कहा, "बाबा, मेरी माँ बीमार है। हमारे पास ना ठीक से खाना है, ना दवा।" साधु बाबा ने मुस्कराते हुए अपनी झोली से एक मुट्ठी चावल निकाले और कहा, "ये जादुई चावल हैं। हर दिन इन में से सिर्फ एक दाना लेना। वो एक दाना तुम्हारे लिए ढेर सारा खाना बना देगा। लेकिन याद रखना, अगर एक से ज्यादा दाना लिया, तो इनका जादू हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।" किशु ने झोली लेकर साधु बाबा को प्रणाम किया और खुशी-खुशी घर लौट आया। अगले दिन किशु ने चावल का एक दाना लिया और उसे पकाने लगा। देखते ही देखते वहाँ ढेर सारा स्वादिष्ट खाना तैयार हो गया। माँ और बेटा दोनों ने पेट भर खाना खाया। अब हर दिन एक दाने से दोनों का पेट भर जाता। धीरे-धीरे माँ की तबीयत भी ठीक होने लगी। किशु के पास अब खाने की चिंता नहीं थी, तो वो पढ़ाई करने भी जाने लगा। लेकिन कुछ महीनों बाद किशु के मन में विचार आया, "अगर मैं एक नहीं, दो-तीन दाने लूं, तो और ज्यादा खाना बन जाएगा। फिर मैं गाँव के लोगों को बेच कर पैसे कमा सकता हूँ। हम बहुत अमीर हो सकते हैं।" अगले दिन किशु ने चावल के तीन दाने लिए। लेकिन जैसे ही उसने उन्हें पकाना शुरू किया, चावल जलने लगे। ना खाना बना, ना कुछ और। किशु घबरा गया। उसने अगले दिन फिर कोशिश की, लेकिन जादू गायब हो चुका था। किशु को अपनी गलती का एहसास हुआ। किशु उदास बैठा था, तभी वही साधु बाबा लौटे। किशु उनके पैरों पर गिरकर बोला, "बाबा, मुझसे गलती हो गई। मैंने आपकी बात नहीं मानी। मुझे माफ कर दो।" साधु बाबा ने मुस्कराते हुए किशु को उठाया और कहा, "बेटा, संतोष सबसे बड़ी दौलत है। लालच करने से हमेशा नुकसान होता है। याद रखो, जो भी ईमानदारी और मेहनत से मिलता है, उसी में सुख है।" साधु बाबा ने किशु को एक बार फिर जादुई चावल दिए। किशु ने इस बार वादा किया कि वो कभी भी लालच नहीं करेगा। अब किशु हर दिन एक दाना लेकर माँ के साथ मिलकर सुखी जीवन जीने लगा। गाँव में सब उसकी ईमानदारी की तारीफ करते। सीख "संतोष में ही सच्चा सुख है। जो व्यक्ति लालच करता है, वो अपने हाथ से खुशियाँ भी खो देता है।"