बंदर और मगरमच्छ की कहानी#  MONKEY AND CROCODILE #Learn and Motivate#manoranjakkahaniyan । STORIES

बंदर और मगरमच्छ की कहानी# MONKEY AND CROCODILE #Learn and Motivate#manoranjakkahaniyan । STORIES

#स्टोरी #STORIES# कहानियाँ # बुद्धिमान बंदर और मगरमच्छ की कहानी | एक घना जंगल था , जहां बहुत से जानवर एक दूसरे के साथ बहुत प्यार से रहा करते थे। उस जंगल के बीच एक बहुत सुंदर और बड़ा सा तालाब था । उस तालाब में एक मगरमच्छ रहता था । तालाब के चारों ओर बहुत सारे फलों के पेड़ लगे हुए थे। उनमें से एक पेड़ पर एक बंदर रहता था । बंदर और मगरमच्छ एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे। बंदर पेड़ से मीठे और स्वादिष्ट फल खाता था और साथ ही अपने दोस्त मगर को भी देता था । बंदर अपने दोस्त मगर का खास ख्याल रखता और मगर भी उसे अपनी पीठ पर बैठा कर पूरे तालाब में घुमाता था । दिन निकलते गए और दोनों की मित्रता गहरी होती गई। बंदर जो फल मगरमच्छ को देता था , मगरमच्छ उनमें से कुछ फल अपनी पत्नी को भी खिलाता था । दोनों फलों को बड़े ही चाव से खाते थे। बहुत दिनों के बाद एक बार मगर की पत्नी ने कहा कि बंदर तो हमेशा ही स्वादिष्ट और मीठे फल खाता रहता है। जरा सोचो उसका कलेजा कितना स्वादिष्ट होगा । वह मगर से जिद करने लगी कि उसे बंदर का कलेजा खाना है। मगर ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की , लेकिन वह नहीं मानी और जिद्द पर अड़ गई। अब मगर को न चाहते हुए भी उसकी बात माननी पड़ी । उसने कहा कि ठीक है ! वो कल बंदर को अपनी गुफा में लेकर आ जाएगा , तब उसका कलेजा निकालकर खा लेना । इसके बाद मगर की पत्नी मान गई। अगले दिन रोज की तरह स्वादिष्ट फलों के साथ बंदर मगर का इंतजार कर रहा था कि कुछ ही देर में मगर भी आ गया और दोनों ने मिलकर फल खाए। फिर कुछ देर बाद मगरमच्छ बोला कि दोस्त आज तुम्हारी भाभी तुमसे मिलना चाहती है। चलो तालाब की दूसरी ओर मेरा घर है, आज वहां चलते हैं । बंदर झट से मान गया और उछलकर मगर की पीठ पर बैठ गया । मगर उसे लेकर अपनी गुफा की ओर बढ़ने लगा । जैसे ही दोनों तालाब के बीच पहुंचे , मगर ने कहा कि मित्र आज तुम्हारी भाभी की इच्छा है कि वो तुम्हारा कलेजा खाये। ऐसा कहकर उसने उसे पूरी बात बताई। बात सुनकर बंदर कुछ सोचने लगा और बोला मित्र तुमने मुझे यह पहले क्यों नहीं बताया । मगर ने पूछा क्यों मित्र क्या हाे गया । बंदर बोला कि मैं अपना कलेजा तो पेड़ पर ही छोड़ आया हूं । तुम मुझे वापस ले चलो तो मैं अपना कलेजा ले आता हूँ । मगर बंदर की बातों में आ गया और वापस किनारे पर आ गया । वो दोनों जैसे ही किनारे पर पहुंचे बंदर झट से पेड़ पर चढ़ गया और बोला कि मूर्ख तुझे पता नहीं कि कलेजा हमारे अंदर ही होता है। मैं हमेशा ही तुम्हारा भला सोचता रहा और तुम मुझे ही खाने चले थे। ये कैसी मित्रता है तुम्हारी । चले जाओ यहां से। मगर अपनी करनी पर बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने बंदर से माफी मांगी , लेकिन अब बंदर उसकी बातों में नहीं आने वाला था । कहानी से सीख बुद्धिमान बंदर और मगरमच्छ की कहानी | एक घना जंगल था , जहां बहुत से जानवर एक दूसरे के साथ बहुत प्यार से रहा करते थे। उस जंगल के बीच एक बहुत सुंदर और बड़ा सा तालाब था । उस तालाब में एक मगरमच्छ रहता था । तालाब के चारों ओर बहुत सारे फलों के पेड़ लगे हुए थे। उनमें से एक पेड़ पर एक बंदर रहता था । बंदर और मगरमच्छ एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे। बंदर पेड़ से मीठे और स्वादिष्ट फल खाता था और साथ ही अपने दोस्त मगर को भी देता था । बंदर अपने दोस्त मगर का खास ख्याल रखता और मगर भी उसे अपनी पीठ पर बैठा कर पूरे तालाब में घुमाता था । दिन निकलते गए और दोनों की मित्रता गहरी होती गई। बंदर जो फल मगरमच्छ को देता था , मगरमच्छ उनमें से कुछ फल अपनी पत्नी को भी खिलाता था । दोनों फलों को बड़े ही चाव से खाते थे। बहुत दिनों के बाद एक बार मगर की पत्नी ने कहा कि बंदर तो हमेशा ही स्वादिष्ट और मीठे फल खाता रहता है। जरा सोचो उसका कलेजा कितना स्वादिष्ट होगा । वह मगर से जिद करने लगी कि उसे बंदर का कलेजा खाना है। मगर ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की , लेकिन वह नहीं मानी और जिद्द पर अड़ गई। अब मगर को न चाहते हुए भी उसकी बात माननी पड़ी । उसने कहा कि ठीक है ! वो कल बंदर को अपनी गुफा में लेकर आ जाएगा , तब उसका कलेजा निकालकर खा लेना । इसके बाद मगर की पत्नी मान गई। अगले दिन रोज की तरह स्वादिष्ट फलों के साथ बंदर मगर का इंतजार कर रहा था कि कुछ ही देर में मगर भी आ गया और दोनों ने मिलकर फल खाए। फिर कुछ देर बाद मगरमच्छ बोला कि दोस्त आज तुम्हारी भाभी तुमसे मिलना चाहती है। चलो तालाब की दूसरी ओर मेरा घर है, आज वहां चलते हैं । बंदर झट से मान गया और उछलकर मगर की पीठ पर बैठ गया । मगर उसे लेकर अपनी गुफा की ओर बढ़ने लगा । जैसे ही दोनों तालाब के बीच पहुंचे , मगर ने कहा कि मित्र आज तुम्हारी भाभी की इच्छा है कि वो तुम्हारा कलेजा खाये। ऐसा कहकर उसने उसे पूरी बात बताई। बात सुनकर बंदर कुछ सोचने लगा और बोला मित्र तुमने मुझे यह पहले क्यों नहीं बताया । मगर ने पूछा क्यों मित्र क्या हाे गया । बंदर बोला कि मैं अपना कलेजा तो पेड़ पर ही छोड़ आया हूं । तुम मुझे वापस ले चलो तो मैं अपना कलेजा ले आता हूँ । मगर बंदर की बातों में आ गया और वापस किनारे पर आ गया । वो दोनों जैसे ही किनारे पर पहुंचे बंदर झट से पेड़ पर चढ़ गया और बोला कि मूर्ख तुझे पता नहीं कि कलेजा हमारे अंदर ही होता है। मैं हमेशा ही तुम्हारा भला सोचता रहा और तुम मुझे ही खाने चले थे। ये कैसी मित्रता है तुम्हारी । चले जाओ यहां से। मगर अपनी करनी पर बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने बंदर से माफी मांगी , लेकिन अब बंदर उसकी बातों में नहीं आने वाला था । कहानी से सीख.। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि संकट के समय हमें घबराना नहीं चाहिए। मुसीबत के समय अपनी बुद्धि का उपयोग कर उसे दूर करने का उपाय सोचना चाहिए।