
,गरुड़ पुराण में आत्मा के शरीर छोड़ने के अनुभव और मृत्यु से पहले होने वाली घटनाओं का विस्तृत वर्णन 1
#GarunPuran #MautKaAnubhav #AtmaAurSharir #MokshaMarg #MrityuKeBaad #SpiritualJourney #HinduScriptures #AtmaKaSafar #DeathExperience #GarudPuranTeachings#गरुड़पुराण #मृत्युकेअनुभव #आत्माकासफर #आत्माऔरशरीर #मोक्षका_मार्ग #मृत्युकेबाद #हिंदूधर्मग्रंथ #पुनर्जन्म #आध्यात्मिकजीवन #मृत्यु_रहस्य मरने से पहले होने वाला अनुभव,आत्मा जब शरीर छोड़ती हैं,गरुड़ पुराण में आत्मा के शरीर छोड़ने के अनुभव और मृत्यु से पहले होने वाली घटनाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है। यह पुराण स्पष्ट करता है कि जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो यह प्रक्रिया बेहद गूढ़ और रहस्यमयी होती है।मृत्यु से पहले होने वाले अनुभव: दर्द और कष्ट का अनुभव:गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के समय व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। यह दर्द ऐसा होता है जैसे हज़ारों बिच्छुओं ने एक साथ डंक मारा हो।पांचों तत्वों का विलय: हमारा शरीर पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) से बना है। मृत्यु के समय ये तत्व क्रमशः शरीर से अलग होने लगते हैं।शरीर भारी हो जाता है, सांस धीमी और उखड़ी हुई महसूस होती है।जन्म और कर्मों का स्मरण: गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के समय व्यक्ति को अपने जीवन के सभी अच्छे और बुरे कर्म एक चलचित्र की तरह दिखते हैं।यह अनुभव व्यक्ति को उसके कर्मों का फल समझने में मदद करता है।आत्मा के शरीर छोड़ने का अनुभव: नाड़ी और प्राण का खिंचाव:मृत्यु के समय प्राण (जीव ऊर्जा) धीरे-धीरे शरीर से खिंचता है। इसे नाड़ियों और मस्तिष्क से बाहर निकलने में समय लगता है। अंधकार और प्रकाश का अनुभव:आत्मा को अंधकार का अनुभव होता है और फिर अचानक एक अद्भुत प्रकाश दिखाई देता है।यह प्रकाश ईश्वर या दैवीय ऊर्जा का प्रतीक हो सकता है।यमदूतों का आगमन:गरुड़ पुराण में कहा गया है कि पापी आत्मा के लिए यमदूत आते हैं और पुण्य आत्मा को देवदूत लेने आते हैं। यमदूत आत्मा को उसके कर्मों के आधार पर अलग-अलग मार्गों से यमलोक तक ले जाते हैं।शरीर से बाहर आत्मा का अनुभव:जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो वह कुछ समय तक अपने मृत शरीर के पास रहती है। आत्मा अपने परिवार के सदस्यों को रोते हुए देख सकती है लेकिन किसी से संवाद नहीं कर सकती।मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा: पृथ्वी पर भटकाव:मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा 13 दिनों तक पृथ्वी पर रहती है। इस दौरान वह अपने कर्मों के आधार पर स्थिर या अशांत महसूस कर सकती है। पुण्य और पापों का लेखा-जोखा:यमलोक में आत्मा के पाप और पुण्य का हिसाब-किताब किया जाता है।आत्मा को नरक या स्वर्ग भेजने का निर्णय यहीं लिया जाता है। पुनर्जन्म का निर्णय:आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार नया शरीर या जीवन मिलता है। यह प्रक्रिया पुनर्जन्म कहलाती है।