अर्जुन और समस्त मानव जाति के लिए भगवद गीता का उपदेश || artha

अर्जुन और समस्त मानव जाति के लिए भगवद गीता का उपदेश || artha

#artha महाभारत काल में पांडवों और कौरवों में राज्य संपत्ति को लेकर मतभेद था. पांचों पांडव युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल व सहदेव धर्म का पालन करते थे. कौरवों में ज्येष्ठ दुर्योधन दुराचारी और लालची था. पांडव और कौरव एक ही परिवार से थे, लेकिन दोनों की नियत में दिन-रात का अंतर था. पांडु की मृत्यु के बाद धृतराष्ट्र अपने जेष्ठ पुत्र दुर्योधन को राजा बनाना चाहता था. दुर्योधन का मामा शकुनि कौरवों को पांडवों के खिलाफ भड़काता रहता था. भगवान श्रीकृष्ण को कौरव और पांडवों के भविष्य के बारे में पता था. वे चाहते थे कि युद्ध ना हो इसलिए, श्रीकृष्ण स्वयं तीन बार शांति दूत बनकर आए और कौरव-पांडवों के बीच सुलह करानी चाही, किन्तु दुर्योधन नहीं माना. तब श्री कृष्ण ने कहा कि तुम पांडवों को आधा राज्य दे दो और दोनों शांति पूर्वक रहो, लेकिन दुर्योधन नहीं माना. तब पांडवों ने ये भी कहा कि हमें राज्य की लालसा नहीं है. हमें केवल पांच गांव दिलवा दीजिए और पूरा राज्य चाहे दुर्योधन को दे दीजिए. लेकिन दुर्योधन ने तब भी साफ इंकार कर दिया और कहा कि पांच गांव तो क्या वह सुई की नोक जितनी जगह भी उन्हें नहीं देगा. दुर्योधन ने पांडवों से कहा कि अगर तुम्हें पांच गांव चाहिए तो कुरुक्षेत्र में आकर हम से युद्ध करना पड़ेगा. हमें पराजित करके राज्य हासिल करना होगा. तब दोनों पक्षों में युद्ध का आगाज हुआ. भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के रथ के सारथी बने थे. तब युद्ध भूमि में अर्जुन ने देखा कि उनके विपक्ष में उन्हीं का परिवार खड़ा है. उन्हीं के गुरु, भाई बंधु हैं, इसलिए वह बोले कि यह तो अधर्म है. मैं अपने ही परिवार के साथ राज्य के लिए कैसे लड़ सकता हूं. अर्जुन ने कहा कि हे माधव! मुझसे यह नहीं होगा. अपने ही परिवार के विरुद्ध मैं खड़ा नहीं हो सकता. तब श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा कि.."हे पार्थ! तुम्हें अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करना चाहिए और एक क्षत्रिय की भांति अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए. यही तुम्हारा धर्म है. श्रीकृष्ण ने अपना उपदेश गायन के माध्यम से दिया था, इसलिए इसे गीता कहा जाता है. श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को हरियाणा के कुरुक्षेत्र नामक स्थान पर 45 मिनट का गीता का उपदेश दिया था, जिसे गीतोपनिषद भी कहा जाता है. भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध भूमि में अर्जुन के टूटे हुए मनोबल को जोड़ने के लिए गीता का उपदेश दिया था और जो की भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से समस्त संसार के कल्याण के लिए अपने मुख से गीता उपदेश दिया था, इसलिए इसे भगवद गीता याने की भगवान की गीता भी कहा जाता है। धर्म का सदा पालन होता रहे इसलिए अर्जुन के माध्यम से समस्त संसार के लिए श्री कृष्ण द्वारा गीता उपदेश देना अति आवश्यक हुआ। बोलो जय श्री कृष्ण हरि! Don't forget to Share, Like & Comment on this video Subscribe Our Channel Artha : https://goo.gl/22PtcY Like us @ Facebook -   / arthachannel   Check us out on Google Plus - https://goo.gl/6qG2sv Follow us on Twitter -   / arthachannel   Follow us on Instagram -  / arthachannel   Follow us on Pinterest -   / channelartha   Follow us on Tumblr - https://www.tumblr.com/blog/arthachannel