
गरूड़ पुराण भाग 14 । अकाल मृत्यु के बाद आत्मा कहा जाती है ?
नमस्कार दर्शकों । जैसा कि हम सब जानते हैं । कि गरुड़ पुराण में मनुष्य के जन्म और मृत्यु के रहस्य के गरुड़ पुराण में बताया गया है । कि काल यानि समय और जब मृत्यु का समय आता है । तब जीवात्मा का देह से वियोग हो जाता है । हर एक व्यक्ति के जन्म और मृत्यु का समय निश्चित होता है । जिसे पूरा करने के बाद ही वह पुनः दूसरे शरीर को धारण करता है। परन्तु यह प्रश्न आपके मन में आता होगा कि जब मनुष्य की अकाल मृत्यु हो जाती है। तो उस जीवात्मा का क्या होता है । और अकाल मृत्यु या दुरमृत्यु किसे कहते हैं । आज की प्रस्तुति में हम इन्हीं सब प्रश्नों के उत्तर आपके साथ साझा करेंगे । परंतु प्रस्तुति आरम्भ करने से पूर्व हम आपको महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहते है। हमारा उद्देश्य केवल आपके ज्ञान में वृद्धि करना व सनातन धर्म से आपको जोड़ना है । हमारे द्वारा प्रस्तुत की गई सभी प्रस्तुतियां वेदों व पुराणों से प्रेरित हैं । पुराणों के अनुसार भविष्य में भी हम आपके लिए नवीनतम प्रस्तुतियां लाते रहेंगे । समय न लेते हुए प्रस्तुति आरंभ करते हैं । गरुड़ पुराण में बताया गया है । कि मनुष्य का जीवन चक्र निश्चित है । यदि कोई मनुष्य इस चक्र को पूरा नहीं करता है । अर्थात जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। उसे मृत्यु के बाद भी कई प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं । परंतु सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि अकाल मृत्यु क्या होती है । अर्थात किस तरह की मृत्यु को गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु की श्रेणी में रखा जाता है। गरुड़ पुराण के सिंहावलोकन अध्याय में पक्षीराज गरुड़ भगवान से कहते हैं । कि हे भगवान । जिन व्यक्तियों की अकाल मृत्यु होती है। उनका पारलौकिक मार्ग कैसा होता है। उन्हें वहां कैसा स्थान प्राप्त होता है । और उनकी क्या गति होती है । हे मधुसूदन । में इन सभी बातों को सुनना चाहता हूं । कृपया आप इनका वर्णन करें । भगवान कहते हैं । की यह परम गोपनीय है । इसे तुम ध्यान से सुनो । यदि कोई प्राणी भूख से पीड़ित होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है । या किसी हिंसक प्राणी द्वारा मर जाता है । या फिर गले में फांसी का फंदा लगाने से किसी की मृत्यु हो जाती है । अथवा जो विष तथा अग्नि आदि से मृत्यु को प्राप्त होता है । और जिसकी मृत्यु जल में डूबने से हो जाती है । या जो सर्प के काटने से मर जाता है । जिसकी दुर्घटना या रोग के कारण मृत्यु हो जाती है । वह अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है । परंतु आत्महत्या को सबसे निंदनीय और गणित अकाल मृत्यु बताया गया है । जो व्यक्ति आत्महत्या करता है ।तो समझना चाहिए कि उसने मेरा अपमान किया है । जिस मनुष्य या प्राणी की मृत्यु प्राकृतिक होती है । वह जीवात्मा मृत्यु के बाद 40 दिन के अंदर दूसरा शरीर धारण कर लेती है। किन्तु जो व्यक्ति आत्म्हत्या जैसा गणित अपराध करता है । उस व्यक्ति की जीवात्मा पृथ्वी लोक पर तब तक वह प्रकृति के चक्र को भोग नहीं लेता । ऐसी जीवआत्मा को ना ही सबर्ग लोक की प्राप्ति होती है और न ही नरक की । अकाल मृत्यु को प्राप्त करने वाली आत्मा अपनी सभी इच्छाओं यानी भूख । प्यास । संभोग । क्रोध । लोभ । वासना आदि की पूर्ति के लिए अंधकार में तब तक भटकती है । जब तक उसका निर्धारित जीवन चक्र पूरा नहीं हो जाता । हे पक्षीराज । तुम्हारे मन में यह भी प्रश्न आवश्य आता होगा कि। प्राणी की अकाल मृत्यु क्यों होती है । यह भी तुम ध्यान से सुनो प्राणी की मृत्यु निश्चित समय पर हो जाती है । तो शीघ्र ही वह यमलोक चली जाती है । प्राचीन काल से ही हमारे वेदों व पुराणों में मनुष्यों की आयु 100 वर्ष निर्धारित की गई है । किंतु जो व्यक्ति बुरे कर्म करता है । उसका शीघ्र ही विनाश हो जाता है । जो वेदों का ज्ञान न होने के कारण निंदित कर्म करता है । जो आलस के कारण कर्मों का परित्याग करता है । जो सत्कर्म को सम्मान और जो दूसरी स्त्रीयो में अनुरक्त रहता है । इसी प्रकार के महादोषो से मनुष्य की आयु कम हो जाती है । नास्तिक नियमों का परित्याग करने वाले पाद्रोधी और असत्यवादी ब्राह्मण की अकाल मृत्यू निश्चित है। प्रजा की रक्षा न करने वाला धर्म आचरण से ही क्रूर। मूर्ख और प्रजा को पीड़ा देने वाले दोषी क्षत्रिय ब्राह्मण को मृत्यु के वशीभूत होकर यम की आत्माएं भोगनी पड़ती है । जो अपने कर्मों का परित्है । और जो व्यापार में दूसरों को लूटता है । वह भी निश्चित समय से पहले ही अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है । फिर पक्षीराज गरुड़ बोले की । हे कृपा निधान । आपने मुझे अकाल मृत्यु और उससे मिलने वाले कष्टों को भली भांति बताया । हे प्रभु । अकाल मृत्यु के बाद कौन सी आत्मा किस योनि में भटकती है । क्या आप मुझे इसके बारे मै बताएंगे । भगवान ने कहा कि। हे महाज्ञानी गरूड़ । तुम्हें साधुवाद है । तुम मेरे प्रिय भक्त हो अतः प्राणी की मृत्युसे से संबंधित यह गोपनीय बात ध्यान से सुनो । हे तेजस्वी गरुड़ । जो पुरुष अकाल मृत्यु को प्राप्त करता है । वह भूत प्ई स्री अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है । तो वह भी इसी प्रकार की योनियों में भटकती रहती है । परंतु उसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है । जैसे की कोई नवयुवक स्री अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है । तो वह चुड़ैल बन जाति है। और अगर किसी को अन्य की अकाल मृत्यु हो जाती है । तो उसे देवी की योनि मै भटकना पड़ता है। इन सबके अतिरिक्त गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु के कारणों से आत्मा की शांति हेतु । अनेकों उपाय बताए गए हैं । जिनकी जानकारी हम आपको हमारी नई प्रस्तुति में देंगे अगर आप चाहते हैं । कि हम अकाल मृत्यु के कारण आत्मा की शांति हेतु उपाय के लिए वीडियो लाइन तो अभी कमेंट करें । आज के लिए केवल इतना ही जाने से पूर्व वीडि