November 30, 2020 — Fishing, Anyone? — A Reflection on Matthew 4:18-22

November 30, 2020 — Fishing, Anyone? — A Reflection on Matthew 4:18-22

Daily Reflection with Aneel Aranha translated by Vani Gracias into Hindi येशू ने गलील की झील के किनारे टहलते हुए दो भाइयों अर्थात सिमोन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछवे थे। और उन से कहा, मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़ने वाले बनाऊंगा। वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए। और वहां से आगे बढ़कर, उस ने और दो भाइयों अर्थात जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा; और उन्हें भी बुलाया , वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए॥ येशु ने अपने प्रेरितों में से जिन बारह पुरुषों को चुना, माना जाता है कि उनमें से सात मछुआरे थे । आज के सुसमाचार में, येशू उनमें से चार को बुलाते हैं: पीटर, एंड्रयू, जेम्स और जॉन। हालाँकि, यह माना जाता है कि पहली सदी के इज़राइल में मछली पकड़ना एक प्रमुख पेशा रहा होगा, लेकिन जिन मछुआरों को येशू ने चुना था, वे बेहद असंगत प्रतीत होते हैं। जो प्रश्न की ओर ले जाता है: क्यों? खैर, शायद यह इसलिए है क्योंकि मछुआरे में उस तरह के खूबी होते हैं जिनकी येशू को तलाश थी । ये क्या हो सकते हैं? एक गुण है धीरज, क्या आपने कभी मछली पकड़ी हैं? खैर, कभी-कभी आप लगातार तेजी से एक के बाद एक मछली पकड़ पाते हैं ; तो कभी आप बस इंतजार में हाथ में मछली पकड़ने का गल लिए कई घंटे बैठे होते हैं पर एक भी मछली हाथ नहीं लगती। मछली पकड़ने के लिए आपके पास बहुत धीरज की आवश्यकता होती है। आप में लोगों को पकड़ने के लिए भी बहुत धीरज की आवश्यकता होती है! कभी-कभी, धर्मयुद्ध के अंत में आपके पास हजारों लोग होंगे जो येशू को स्वीकार करेंगे तो कभी कई महीनों के अंत तक, आप एक भी आत्मा येशू के पास नहीं ला सके हो। एक और गुण है सातत्य। कम से कम दो अवसरों पर (जो हम जानते हैं) पीटर और एंड्रयू, पूरी रात मछली पकड़ने की कोशिश करने के बावजूद, कुछ नहीं पकड़ पाए। (लुका 5 और जॉन 21 देखें) । वो भी तब, जब पूरी रात कोशिश कि हो, क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि पूरी रात की कोशिश के बावजूद एक भी मछली पकड़ न पाना । यह बेशक धीरज की बात है। लेकिन यह सातत्य की बात भी करता है क्योंकि वे सुबह तक कोशिश करते रहे। अब येशु ने उन्हें उबारा, उन्हें इतनी मछलियाँ पकडवा दी के जिससे उनका जाल भी टूटने लगा, लेकिन अगर वे ( येशू ) ऐसा नहीं करते, तब भी वे ( पीटर और एंड्र्यू) अगली शाम फिर से मछली पकड़ने निकल जाते! हमें प्रचार करने के लिए ऐसी ही सातत्यता की आवश्यकता है, और हम दिन-प्रतिदिन इस कार्य में जुटे रहे एक तीसरा गुण है हिम्मत। तालाब के किनारे मछली पकड़ना एक शांतिपूर्ण काम है, लेकिन वास्तव में मछली पकड़ने के लिए गहरे पानी में जाना पड़ता है। जब एक तुफान आता है तो यह अति दर्दनाक हो सकता है। फिर, हम, प्ररितों कों को कई तूफानों में फंसे हुए पाते हैं, और कुछ तूफान इतने गंभीर भी थे कि यह अनुभवी लोग भी भयभीत हो गए थे, परंतु ये तूफान भी उन्हें मछली पकड़ने से नहीं रोक पाया। हमें भी हिम्मत जुटाकर रहना चाहिए, क्योंकि तूफान कभी हमसे भी आ टकराएंगे। उनमें से कुछ तुफान तो इतने बड़े हो सकते हैं जो हमें बरबाद करने कि हद्द तक डरा सके । हमें कभी भी इनसे भयभीत नहीं होना है। धीरज, सातत्य, साहस । प्रेरितों की तरह, हम भी लोगों के मछुआरे कहे जाते हैं। ये वो गुण हैं जिनकी हमें आवश्यकता है।