
अभिमन्यु का वध और अर्जुन की प्रतिज्ञा | श्री कृष्ण महिमा
भीम चक्रव्यूह में घुसने के लिए बहुत कोशिश करता है लेकिन जयदरथ उसे व्यूह मीन नहीं जाने देता। दुर्योधन, शकुनि, दुशासन, गुरु कृपाचार्य, द्रोणाचार्य और कर्ण अभिमन्यु से एक साथ युद्ध करते हैं लेकिन अभिमन्यु उनसे बराबरी का युद्ध करता है। दुशासन अभिमन्यु के सारथी को मार कर उसके रथ को तोड़ देता है। और उसके धनुष बाण को भी नष्ट कर देता है। अभिमन्यु अपने रथ का पहिया उठा कर कौरवों पर हमला करता है। दुर्योधन के आदेश पर कौरव वीर एक साथ उसे मारने लगते हैं। वो सब मिल कर उसका वध कर देते हैं। अभिमन्यु मरने से पहले अपने पिता को आवाज़ देता है जिसे सुनकर अर्जुन विचलित हो जाता है। अभिमन्यु के मारने के बाद कौरव ख़ुशी में शंख नाद करते हैं। जिसे सुन पांडव अभिमन्यु की मृत्युु का ज्ञात हो जाता है। युद्ध समाप्त होने के बाद जब पांडव अपने शिविर में अभिमन्यु की मौत के शोक बैठे होते हैं तो अर्जुन वहाँ आता है और उनसे इस सन्नाटे के बारे में पूछते हैं तो अभिमन्यु की वीरता और उसके वध कौरवों द्वारा कर देने की बात सुन अर्जुन को ठेस पहुँचती है। युधिष्ठिर अर्जुन को बताता है की हमें व्यूह में जाने से जयदरथ में जाने से रोक रखा था जिसके कारण कौरवों ने अभिमन्यु से क्रूरता करके मार दिया। अर्जुन क्रोध में आकर प्रतिज्ञा लेता है की यदि जयदरथ कल प्रातः होने तक हमारी शरण में नहीं आता है या फिर युद्ध भूमि से भाग नहीं जाता है तो मैं संध्या काल तक उसका वध कर दूँगा। श्री कृष्ण पांडवों को बताते हैं की अगर जयदरथ मरता है तो उसके साथ अर्जुन की भी मृत्युु हो जाएगी क्योंकि जयदरथ को वरदान है की उसके मरते ही जब उसका सर धरती पर गिरेगा तो उसे मारने वाले के भी सिर के सौ टुकड़े हो जाएँगे। अर्जुन उनसे इसका निवारण पूछते हैं तो श्री कृष्ण उन्हें बताते हैं की जयदरथ के वध करने के बाद उसका मस्तक पिता महाराज वृधशत्र की गोद में जाकर गिरे जो समंत पंचक क्षेत्र में तप कर रहा है और उसके साथ उसके पिता का वध हो सके। श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी 2020 में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर किया जा रहा है, TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा। In association with Divo - our YouTube Partner #shreekrishna #shreekrishnamahina #krishna #krishnamahima